अरविंद केजरीवाल सरकार ने अमानतुल्लाह खान को दिया बड़ा झटका

दिल्ली। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के राजस्व विभाग ने कहा है कि विधानसभा के फरवरी में भंग होने के बाद अमानतुल्लाह खान वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष नहीं हैं. खान प्रदेश की छठी विधानसभा के ओखला क्षेत्र से सदस्य थे. छठी विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में पूरा हो गया. सातवीं विधानसभा में भी खान ओखला सीट से निर्वाचित हुए हैं. प्रमुख सचिव (राजस्व) के कार्यालय ने शुक्रवार को एक पत्र में कहा कि वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 14(1) केजरीवाल सरकार के राजस्व विभाग के तहत फरवरी में विधानसभा भंग होने के बाद खान वक्फ बोर्ड के सदस्य और अध्यक्ष नहीं रहे. विधायक के तौर पर खान को सात सदस्यीय वक्फ बोर्ड में नामित किया गया था और बाद में उन्हें सितंबर 2018 में सर्वसम्मति से वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया. दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि खान को उनके पद से हटाया गया है और कहा कि नई सरकार द्वारा नए सिरे से समिति पुनर्गठित की जाएगी.दिल्ली सरकार ने अमानतुल्लाह खान के जरिये 11 फरवरी 2020 के बाद से लिए गए फैसलों को भी निरस्त करने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि अमानतुल्लाह खान विधानसभा चुनाव के बाद वक्फ बोर्ड के होने के बाद खान वक्फ बोर्ड के ऑफिस आते थे और बतौरचेयरमैन काम कर रहे थे. हालांकि तब वह कानूनी तौर पर चेयरमैन नहीं थे. इस बीच विधानसभा मामलों की समिति और दिल्ली सरकार ने उनको उनके पद से हटाने का फैसला किया है. रिवेन्य डिपार्टमेंट ने अमानतल्लाह के चेयरमैन के पद पर बने रहने को लेकर आपत्ति जताई गई थी, जिसे कानून विभाग और विधानसभा मामलों की समिति ने भी सहमति जताई थी. इसमें कहा गया था कि विधानसभा का चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अमानतुल्ला को दोबारा चेयरमैन के तौर पर नियुक्त किया जाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने बिना अध्यक्ष के चुनाव हुए चेयरमैन के तौर पर काम करना शरू कर दिया. जो असंवैधानिकथा. इसके बाद यह फैसला लिया गया है.